राजस्थान का नामकरण –
1. ऋग्वेद (वैदिक काल) में राजस्थान का नाम “ब्रम्हाव्रत” था।
2. रामायण काल में (वाल्मीकि) में राजस्थान का नाम “मरुकान्तर” था।
* महाजनपद काल में (महाभारत काल में) –
3. गंगानगर और हनुमानगढ़ को “यौद्धेय प्रदेश” कहा जाता था।
4. बीकानेर और इसके आस-पास के प्रदेश को “ जांगल प्रदेश” और यहाँ के शासको को “जांगलधर बादशाह” कहा जाता था।
5. जयपुर और आस-पास के क्षेत्र को “बैराठ” (विराटनगर) कहा जाता था, यहाँ महाभारत कालीन अवशेष प्राप्त हुए है।
6. अलवर एवं इसके आस-पास के के क्षेत्र को “मत्स्य” कहा जाता था।
7. भरतपुर, धौलपुर, करौली को “शूरसेन” कहा जाता था।
8. जैसलमेर को “वल्ल/मांड” कहा जाता था।
9. जालौर को “सुवर्णगिरी” कहा जाता था।
10. प्राचीन काल में भीनमाल (जालौर) को “श्रीमाल” कहते थे। जैन धर्म की सबसे बडा जिनालय (मंदिर) यहाँ बना हुआ है।
11. नागोर को “अहिच्छत्रपुर” कहा जाता था।
12.राजस्थान शब्द का सर्वप्रथम उल्लेख 2 शिलालेखों में किया गया – 1.घोसुण्डी शिलालेख 2. बसंतगढ़ शिलालेख।13. घोसुण्डी शिलालेख में “राजस्थानीय” शब्द का तथा बसंतगढ़ शिलालेख में “राजस्थानियादित्य” शब्द का उल्लेख किया गया था।
14. घोसुण्डी शिलालेख 532 ईस्वी पूर्व में मिला तथा बसंतगढ़ शिलालेख 682 ईस्वी पूर्व में मिला था।
15. घोसुण्डी शिलालेख नगरी (चित्तोड़गढ़) में खंडित अवस्था में प्राप्त हुआ था। वर्तमान में घोसुण्डी शिलालेख उदयपुर संग्रहालय में स्थित है। घोसुण्डी शिलालेख यह शिलालेख संस्कृत भाषा एवं ब्रह्मी लिपि में लिखा हुआ लेख है। घोसुण्डी शिलालेख में भागवत धर्म का सबसे प्राचीन उल्लेख है। घोसुण्डी शिलालेख को सर्वप्रथम कवि शयामलदास ने खोजा था परंतु इसको सबसे पहले डी.आर. भंडारकर ने पढ़ा था।
16. बसंतगढ़ शिलालेख, सिरोही में स्थित है। यह शिलालेख एक मंदिर में स्थित है जिसका नाम “खिमलमाता मंदिर” है। इसमें मेवाड़ शासक “शिलादित्य” का उल्लेख है।
* मध्य काल में राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रो के नाम –
17. चित्तोडगढ को अलाउद्दीन खिलजी ने “खिज्राबाद” नाम दिया था।
18. जालौर को अलाउद्दीन खिलजी ने “जलालाबाद” नाम दिया था।
19. सिवाना (बाड़मेर) को अलाउद्दीन खिलजी ने “खैराबाद” नाम दिया था।
20. मध्यकाल में बादशाह अकबर ने उदयपुर को “मोहम्मदाबाद” नाम दिया था।
21. मुहम्मद गौरी ने ने तिमनगढ़ (करौली) को “इस्लामबाद” नाम दिया था ।
22. मध्यकाल में बादशाह मुहम्मदशाह ने जयपुर/आमेर को “मोमिनबाद” नाम दिया था।
* आधुनिक काल (ब्रिटिश काल) में –
23. राजस्थान के लिए “राजपुताना” शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1800 ई. में जार्ज थॉमस ने किया।
24. जार्ज थॉमस ने सर्वप्रथम राजस्थान के लिए “राजपुताना” शब्द का प्रयोग किया इसका उल्लेख विलियम फ्रेंकलिन की रचना “मेमोयर्स ऑफ़ मिस्टर जार्ज थॉमस (1805)” से मिलता है।
25. सर्वप्रथम राजस्थान को राजस्थान नाम कर्नल जेम्स टॉड ने दिया था। कर्नल जेम्स टॉड पश्चिमी राजस्थान के पॉलिटिकल एजेंट थे। इन्होने ही राजस्थान को “रायथान व रजवाड़ा” के नाम से पुकारा था।
26. इस भौगोलिक भू-भाग के लिए “राजस्थान” शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग कर्नल जेम्स टॉड ने 1829 में लन्दन में अपनी लिखी पुस्तक “Annals and Antiquities of Rajsthan / Central and Western Rajpoot States of
India” में किया। इस पुस्तक का हिंदी अनुवाद प्रसिद्ध इतिहासकार गौरी शंकर ओझा ने 1835 ई. में किया था। इन्हें राजस्थान का विश्लेषक कहा जाता है। ये सिरोही के निवासी थे।
27. कर्नल जेम्स टॉड को “घोड़े वाला बाबा” की
संज्ञा
दी गई।
* स्वतंत्रता के पश्चात आधुनिक काल में -
28. ब्रिटिश काल में भारत के
राज्यों
की चार श्रेणिया थी
– A श्रेणी, B श्रेणी, C श्रेणी, D श्रेणी।
29. A श्रेणी में ब्रिटिश प्रांत शामिल थे,
इनका
प्रशासन गर्वनर जनरल सम्भालता था।
30. B श्रेणी में रियासतें शामिल थे
, इसका
शासन
स्थानीय
राजा
सम्भालते
थे। स्वतंत्रता से पूर्व राजस्थान B श्रेणी का राज्य था।
31. C श्रेणी में केंद्र शासित प्रदेश थे,
इनका
प्रशासन
ए. जी. जी.
(एजेंट
टू गर्वनर जनरल) सम्भालता था। ब्रिटिश भारत में चार केंद्र शासित प्रदेश थे
– 1. दिल्ली, 2.अजमेर-मेरवाडा, 3. कुर्ग (कर्नाटक), 4. बलूचिस्तान
32. D श्रेणी के अंतर्गत ब्रिटिश सरकार द्वारा नए
अर्जित
प्रदेश
थे। इसमें अंडमान-निकोबार शामिल था।
33. स्वतंत्रता के समय राजस्थान दो
श्रेणियों
में
शामिल
था। एक B श्रेणी (रियासतें), दूसरी C श्रेणी (अजमेर-मेरवाडा) थी।
34. सरदार
वल्लभ
भाई
पटेल
की अध्यक्षता में 5 जुलाई, 1947 में रियासती विभाग का
गठन
किया
गया,
इस विभाग के
सचिव
वी. पी. मेनन को
बनाया
गया।इस
विभाग
ने सम्पूर्ण भारत की
रियासतों
का एकीकरण किया। इस हेतु विलय पत्र पर
हस्ताक्षर
का प्रावधान किया गया।
35. सर्वप्रथम राजस्थान में वलय पत्र पर
हस्ताक्षर बीकानेर के
शासक
शार्दूलसिंह
ने किया था।
36. राजस्थान
में
एकीकरण
का प्रथम चरण 18 मार्च 1948 में ‘मत्स्य संघ’ के
साथ
प्रारम्भ
हुआ।
37. स्वतंत्रता के बाद प्रदेश के
नाम
में
राजस्थान
शब्द
पहली
बार
एकीकरण
के द्वितीय चरण “राजस्थान संघ” के नामकरण के
साथ
25 मार्च 1948 को जुड़ा। राजस्थान संघ को
पूर्वी राजस्थान के
नाम
से भी जाना जाता है।
38. विधिवत
(वैधानिक
मान्यता) रूप से इस
सम्पूर्ण
भौगोलिक
प्रदेश
का नाम राजस्थान 26 जनवरी 1950 को
(एकीकरण
के छठे चरण में) स्वीकार किया गया।
39. दिसम्बर 1953 में डॉक्टर फजल अली की
अध्यक्षता
में
राज्य
पुनर्गठन
आयोग
का गठन किया गया।
40. राज्य
पुनर्गठन
आयोग की सिफारिश पर
भाषाई
आधार
पर राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 बनाया गया।
41. राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 के
तहत
1 नवम्बर
1956 को राजस्थान को
राज्य
के रूप में मान्यता दी
गई।
42. प्रतिवर्ष राजस्थान दिवस 30 मार्च को
मनाया
जाता
है क्योंकि 30 मार्च 1949 को
राजस्थान
को वर्तमान स्वरूप प्राप्त हुआ था।
43. राजस्थान स्थापना दिवस 1 नवम्बर को
मनाया
जाता
है क्योंकि 1 नवम्बर 1956 को
राजस्थान
को राज्य के
रूप
में
मान्यता
दी गई थी।
44. राज्य
पुनर्गठन
आयोग की सिफारिश पर
भाषाई
आधार पर राजस्थान को
राज्य
के रूप में मान्यता प्राप्त हुई।
45. राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत 1 नवम्बर 1956 को
सम्पूर्ण
भारत
में
14 राज्य
एवं
6 केंद्रशासित
प्रदेशों को
मान्यता
दी गयी थी।
46. भाषाई
आधार
पर सबसे पहला राज्य “आंध्रप्रदेश” बनाया गया था।
1 नवम्बर 1956 को राजस्थान की प्रशासनिक स्थिति –
47. 1 नवम्बर 1956 को राजस्थान में पांच संभाग – 1. जयपुर संभाग 2.जोधपुर संभाग 3.उदयपुर संभाग 4.बीकानेर संभाग 5.कोटा संभाग थे।
48. अप्रेल 1962 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाडिया ने संभागीय व्यवस्था को समाप्त कर दिया था।
49. 26 जनवरी 1987 को तत्कालीन मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी ने संभागीय व्यवस्था पुन: प्रारम्भ की।
50. संभागीय व्यवस्था पुन: प्रारम्भ होने के पश्चात 26 जनवरी 1987 को मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी के कार्यकाल में छठा संभाग अजमेर को बनाया गया।
51. 4 जून 2005 को 7 वां संभाग भरतपुर को बनाया गया उस समय राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे थी।
* राजस्थान के संभाग –
52. क्षेत्रफल की दृष्टि से जोधपुर संभाग सबसे बड़ा है।
53. जोधपुर संभाग के अंतर्गत जिले – जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, जालौर, सिरोही और पाली (कुल 6) ।
54. जोधपुर संभाग राजस्थान के कुल क्षेत्रफल का 34.4 % भाग है।
55. क्षेत्रफल की दृष्टि से भरतपुर संभाग सबसे छोटा है।
56. कोटा संभाग के अंतर्गत जिले – बूंदी, कोटा, बारां, झालावाड (कुल 4) । कोटा संभाग राजस्थान के कुल क्षेत्रफल का 8.31 % भाग है।
57. जनसंख्या की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा संभाग जयपुर संभाग एवं सबसे छोटा कोटा संभाग है।
58. जयपुर संभाग के अंतर्गत जिले – झुंझुन, सीकर, जयपुर, अलवर, दौसा (कुल-5)।
59. जयपुर संभाग में राजस्थान की कुल जनसंख्या का 20.43 % भाग निवास करता है।
60. जनसंख्या की दृष्टि से राजस्थान का सबसे छोटा संभाग भरतपुर संभाग है ।
61. भरतपुर संभाग के अंतर्गत जिले – भरतपुर,धौलपुर,करौली, सवाई माधोपुर (कुल 5)।
62. एकीकरण के समय क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा संभाग जोधपुर और सबसे छोटा संभाग कोटा था, परन्तु वर्तमान में 4 जून 2005 से सबसे छोटा संभाग भरतपुर है।
63. बीकानेर संभाग के अंतर्गत जिले – बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, चुरू (4 जिले)।
64. अजमेर संभाग के अंतर्गत जिले – अजमेर, नागौर, टोंक, भीलवाडा (कुल 4)।
65. उदयपुर संभाग के अंतर्गत जिले – उदयपुर, राजसमन्द, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, बाँसवाड़ा, चित्तोडगढ (कुल 6)।
66. संभाग का सबसे बड़ा प्रशासनिक अधिकारी “संभागीय आयुक्त” होता है जिसे कमिश्नर के नाम से जाना जाता है।
67. 1 नवम्बर 1956 को राजस्थान में कुल 26 जिले थे। 26 वां जिला अजमेर को बनाया गया था। इसकी स्थापना 1 नवम्बर 1956 को की गयी।
68. राजस्थान का 27 वां जिला धौलपुर को बनाया गया था। इसे 15 अप्रेल 1982 को बनाया गया।
69. राजस्थान का 28 वां जिला बारां को बनाया गया था। इसे 10 अप्रेल 1991 को बनाया गया।
70. राजस्थान का 29 वां जिला दौसा को बनाया गया था। इसे 10 अप्रेल 1991 को बनाया गया।
71. राजस्थान का 30 वां जिला राजसमन्द को बनाया गया था। इसे 10 अप्रेल 1991 को बनाया गया।
72. 10 अप्रेल 1991 को तीन नए जिलों की घोषणा की गई थी।
73. राजस्थान का 31 वां जिला हनुमानगढ़ को बनाया गया था। इसे 12 जुलाई 1994 को बनाया गया।
74. राजस्थान का 32 वां जिला करौली को बनाया गया था। इसे 19 जुलाई 1997 को बनाया गया।
75. राजस्थान का 33 वां जिला प्रतापगढ़ को बनाया गया था। इसे 26 जनवरी 2008 को बनाया गया।
76. क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बडे जिले क्रमश: जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, जोधपुर है।
77. क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटा जिला धौलपुर है इसके बाद क्रमश: दौसा, डूंगरपुर और राजसमंद है।
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