Friday, October 16, 2020

2. राजस्थान - विश्व में अवस्थिति एवं विस्तार

1. राजस्थान की ग्लोब/मानचित्र पर अवस्थिति अक्षांशीय दृष्टि एवं देशांतरीय दृष्टि से प्राप्त की जाती है इस हेतु अक्षांश एवं देशांतर की जानकारी होना आवश्यक है
2. अक्षांश (Longitude) दो शब्दों से बना हैअक्ष + अंश
3. उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव को जोड़ने वाली काल्पनिक रेखा (जो पृथ्वी के केंद्र से गुजरती है) को अक्ष कहते है
4. अक्षांशपृथ्वी के केंद्र से भूमध्य रेखा के समांतर पूर्व से पश्चिम खीची गई काल्पनिक रेखा जो उत्तर से दक्षिण की कोणीय दुरी दर्शाती है
5. भूमध्य रेखा से उत्तर या दक्षिण भूतल पर स्थित किसी बिंदु की पृथ्वी के केंद्र से मापी गयी कोणिक दुरी को अक्षांश कहते है
 6. उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिणी ध्रुव बिन्दुवत होते है अत: इन्हें अक्षांश रेखा में शामिल नहीं करते इसलिए पूरी पृथ्वी पर 179 अक्षांशीय रेखाएँ होती है
7. ग्लोब पर भूमध्य रेखा शून्य अक्ष अक्षांश (0) से प्रदर्शित की जाती है इसे ही विषुवत रेखा भी कहा जाता है
8. ग्लोब पर समान अक्षांश वाले बिन्दुओं को मिलाने वाली कल्पित रेखाओं को अक्षांश रेखा या अक्षांश वृत्त कहते है
9. भूमध्य रेखा/विषुवत रेखा सबसे बड़ा अक्षांश वृत्त है कुल अक्षांश वृत्त/रेखायें 179 होते है तथा कुल अक्षांश 180 होते है  
10. भूमध्य रेखा से जब ध्रुवों की ओर जाते है तो अक्षांश वृत्तों छोटे होते जाते है अत: सबसे छोटे अक्षांश वृत्त ध्रुवों के बिंदुवृत्त होते है या ध्रुव बिंदु मात्र से प्रदर्शित होते है
11. भूमध्य रेखा पर 1 अक्षांश की दुरी 110.569 किलोमीटर तथा ध्रुवों पर 111.700 किलोमीटर होती है
12. दो अक्षांशों के मध्य दुरी  1 अक्षांश = 111 किलोमीटर होती है
13. भूमध्य रेखा से किसी भी ध्रुव की ओर जाने पर अक्षांश की दुरी में वृद्धि होती है
14. भूमध्य रेखा के उत्तर में स्थित गोलार्द्ध  “उत्तरी गोलार्द्धतथा दक्षिण में स्थित गोलार्द्धदक्षिणी गोलार्द्धकहलाता है
15. अक्षांशीय स्थिति के अनुसार सम्पूर्ण भारत एवं राजस्थान उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है
16. उत्तरी गोलार्द्ध में 23 ½  डिग्री उत्तरी अक्षांश कर्क रेखा तथा 66 ½ डिग्री उत्तरी उपध्रुव वृत्त / आर्कटिक वृत्त कहलाता है
17. दक्षिणी गोलार्द्ध में 23 ½  डिग्री दक्षिणी अक्षांश मकर रेखा तथा 66 ½ डिग्री दक्षिणी उपध्रुव वृत्त / अन्टार्कटिका वृत्त कहलाता है
18. ग्लोब पर भूमध्य रेखा शून्य अक्ष अक्षांश (0) से प्रदर्शित की जाती है जिसके उत्तर और दक्षिणी की ओर अक्षांश का मान क्रमश: बढ़ता जाता है और ध्रुव 90 अक्षांश द्वारा प्रदर्शित होते है उत्तरी ध्रुव का अक्षांश 90 उत्तर तथा दक्षिणी ध्रुव का अक्षांश 90 दक्षिण होता है
19. राजस्थान विषुवत रेखा के उत्तर में, उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है राजस्थान से प्रमुख अक्षांश रेखा  “कर्क रेखा” (23 ½ डिग्री रेखा) गुजरती है
20. दो अक्षांश के मध्य के क्षेत्र को कटिबंध (zone) कहते है, कटिबंधो का निर्धारण अक्षांशो के आधार पर होता है।
21. भूतल के किसी भी बिंदु से गुजरने वाली मध्यान्ह रेखा तथा प्रधान मध्यान्हरेखा के मध्य की कोणिक दुरी उस बिंदु की देशान्तर कहलाती है।   
22. लन्दन के समीप स्थित ग्रीनविच रॉयल प्रेक्षणशाला से होकर गुजरने वाली मध्यान्ह रेखा को प्रधान मध्यान्ह रेखा माना गया है जिसका मान शून्य अंश देशांतर हैं।  इस रेखा का निर्धारण 1880 . के समझौते से हुआ।
23. अक्षांशीय दृष्टि से राजस्थान की स्थिति उत्तरी गोलार्द्ध है। राजस्थान से प्रमुख अक्षांश रेखा  “कर्क रेखा” (23 ½ डिग्री रेखा) गुजरती है।
24. कर्क रेखा (23 ½ डिग्री रेखा) दो जिलों से होकर गुजरती है – 1. डूंगरपुर 2. बाँसवाड़ा।
25. कर्क रेखा डूंगरपुर के दक्षिण से गुजरती है तथा यह डूंगरपुर  जिले की दक्षिणी सीमा बनाती है।
26. कर्क रेखा बाँसवाड़ा जिले के मध्य से गुजरती है।
27. कर्क रेखा की राजस्थान में कुल लम्बाई 26 किलोमीटर है।
28. बांसवाडा जिले के छींच गाँव से कर्क रेखा गुजरती है या राजस्थान में 23 ½ डिग्री अक्षांश पर स्थित गाँव का नाम छींच है।
29. कुशलगढ़ तहसील (बाँसवाड़ा जिला) राजस्थान की एकमात्र तहसील है जो कर्क रेखा के दक्षिण में स्थित है।


30.
देशान्तर रेखाकाल्पनिक रेखा होती है पूर्व से पश्चिम की कोणात्मक दुरी दर्शाती है तथा यह उत्तर से दक्षिण भूमध्य रेखा के लम्बवत खीची गयी है। देशांतर रेखाओं की कुल संख्या 360 होती है। सब ही देशांतरीय रेखायें अर्धवृत्त होती है जबकि अक्षांशीय रेखाए अक्षांश वृत्त होती है परन्तु  उत्तरी ध्रु एवं दक्षिणी ध्रु बिंदुवृत्त होती है इसलिए सभी अक्षांशीय रेखाए अक्षांश वृत्त नहीं होती है
31.
दो देशान्तरों के मध्य की दुरी 111.321 किलोमीटर होती है यह दुरी भूमध्य रेखा पर होती है या एक देशांतर की भूमध्य रेखा पर 111.321 किलोमीटर की दुरी होती है। सर्वाधिक दुरी भूमध्य रेखा पर होती है और वहां से ध्रुवों की ओर इनके बीच की दुरी क्रमशकम होती जाती है तथा ध्रुवो पर ये एक बिंदु पर मिल जाती है। सभी देशांतर रेखाएं यथार्थ उत्तर-दक्षिण दिशा में होती है तथा इनकी लंबाइयाँ समान होती है।
32.
भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर अक्षांशो के बीच की दुरी बढती है जबकि देशान्तरों के बीच की दुरी कम होगी।
33. भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर अक्षांशीय वृत्त छोटे होते जाते है जबकि देशान्तर अर्द्धवृत्त एकसमान होते है।
34.
भूतल के किसी भी बिंदु से गुजरने वाली मध्यान्ह रेखा तथा प्रधान मध्यान्ह रेखा के मध्य की कोणिक दुरी उस बिंदु की देशान्तर कहलाती है। लन्दन के समीप स्थित ग्रीनविच रॉयल प्रेक्षणशाला से होकर गुजरने वाली मध्यान्ह रेखा को प्रधान मध्यान्ह रेखा या ग्रीनविच रेखा (0 देशांतर) माना गया है जिसका मान शून्य अंश देशांतर हैं।   
35. प्रधान मध्यान्ह रेखा भी पृथ्वी को दो भागों पूर्वी गोलार्द्ध और पश्चिमी गोलार्द्ध में बाटती है
36.
भारत/राजस्थान देशांतरीय दृष्टिकोण से पूर्वी गोलार्द्ध में स्थित है
37. दो अक्षांश के मध्य की दुरी  को कटिबंध (zone) कहते है तथा दो देशांतर के मध्य की दुरी को गोरे कहते है।  
38. पृथ्वी पर अक्षांश और देशांतर रेखाओं का जाल / के बीच की दुरी ग्रीड कहलाती है।
39. भूमंडल पर 180 देशांतर के लगभग साथ-साथ निर्धारित एक काल्पनिक रेखा जो प्रशांत महासागर के जलीय भाग से गुजरती है उसे अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा कहते है।
40.
यह रेखा (180 देशांतर  या अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा ) बैरिंग जलडमरमध्य (रूस  एवं अलास्का/U.S.A.) प्रशांत महासागर चुखी सागर तथा आर्कटिक सागर से गुजरती है। 180 1/2 पूर्वी देशांतर भारतीय मानक समय रेखा है। 
41. यह एक टेढ़ी-मेढ़ी रेखा है, यह रेखा एक दम सीधी नहीं खींची गई है, ताकि कुछ स्थानों पर एक ही कैलेंडर दिवस हो। 
42. राजस्थान अक्षांशीय दृष्टि से उत्तरी गोलार्द्ध तथा देशांतरीय दृष्टिकोण से पूर्वी गोलार्द्ध में स्थित है 
43.
विश्व/ग्लोब में राजस्थान की स्थिति उत्तर-पूर्व में होगी। यह कोणईशान कोणहै।
44. एशिया महाद्वीप में राजस्थान की स्थिति दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) है।
45. भारत  में राजस्थान की स्थिति उत्तर-पश्चिम (वायव्य कोण) है
46.
दक्षिण-पूर्व अथवा आग्नेय कोण में राजस्थान की स्थिति नहीं है।




47.
राजस्थान की आकृति विषम चतुष्कोणीय (पतंगाकार) है।राजस्थान की आकृति के लिए विषम चतुष्कोणीय शब्द का प्रयोग अंग्रेज अधिकारी टी.एच. हेडले ने किया।

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